कुशीनगर, जिसे प्राचीन काल में कुशावती या कुशीनारा के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मंडल में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है। यह शहर महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल के रूप में विश्व विख्यात है।
1. भूगोल और इतिहास: कुशीनगर घाघरा नदी के पास स्थित है, जो गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से गंगा के मैदान में आता है, और इसकी जलवायु उष्णकटिबंधीय है। ऐतिहासिक रूप से, यह क्षेत्र मल्ल गणराज्य का हिस्सा था और बौद्ध साहित्य में इसका उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि महात्मा बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके अवशेषों को 8 हिस्सों में विभाजित किया गया, जिसमें एक हिस्सा कुशीनगर के मल्लों को मिला था।
2. महापरिनिर्वाण स्थल: कुशीनगर में स्थित महापरिनिर्वाण स्तूप और मंदिर इस शहर का सबसे महत्वपूर्ण स्थल हैं। यहां भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर लंबी प्रतिमा स्थित है, जो उन्हें शयन अवस्था में दर्शाती है। यह प्रतिमा पांचवीं शताब्दी की मानी जाती है और इसे लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। यह वही स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने अपने शिष्य आनंद को अपने अंतिम उपदेश दिए थे और परिनिर्वाण प्राप्त किया था।
3. अनोखे स्थल: कुशीनगर में रामाभार स्तूप एक और महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे बुद्ध के अंतिम संस्कार स्थल के रूप में माना जाता है। यह स्तूप लगभग 50 फीट ऊंचा है और इसे बुद्ध के अंतिम संस्कार के स्थल के रूप में सम्मानित किया जाता है। यहां पर विभिन्न देशों के बौद्ध मठ और मंदिर भी स्थित हैं, जैसे कि जापानी, चीनी, थाई और श्रीलंकाई मठ, जो अपने-अपने देशों की स्थापत्य कला का प्रदर्शन करते हैं।
4. आधुनिक महत्व: आज कुशीनगर एक प्रमुख पर्यटन और तीर्थ स्थल के रूप में उभर रहा है। यहां पर हर साल वैशाख पूर्णिमा के अवसर पर महाबोधि महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें दुनिया भर से बौद्ध अनुयायी आते हैं। भारतीय सरकार ने कुशीनगर में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का भी निर्माण किया है, जिससे यहां पहुंचने में सुविधा होती है।
कुशीनगर का यह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व इसे न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सभी इतिहास प्रेमियों और संस्कृति के विद्यार्थियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनाता है।